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प्रॉपर्टी टैक्स क्या है और इसकी गणना कैसे की जाती है?

Nov 11, 2022
प्रॉपर्टी टैक्स क्या है और इसकी गणना कैसे की जाती है?

सरकार जिस तरह इनकम पर इनकम टैक्स वसूलती है, उसी तरह प्रॉपर्टी के मालिकों को प्रॉपर्टी टैक्स देना होता है। प्रॉपर्टी टैक्स को हाउस टैक्स कहते हैं। अगर, आप किसी प्रॉपर्टी के मालिक हैं या मालिक बनने जा रहे हैं, तो प्रॉपर्टी टैक्स के बारे में आपको जरूर जानना चाहिए।

प्रॉपर्टी टैक्स क्या होता है:

प्रॉपर्टी टैक्स अचल संपत्ति पर लगाया जाने वाला एक सालाना टैक्स है। इसे स्थानीय निकाय या नगरपालिका प्राधिकरण जैसे कि पंचायत, नगरपालिका या नगर निगम अचल संपत्ति के मालिकों पर लगाता और वसूलता है। अचल संपत्ति में आवासीय और कमर्शियल बिल्डिंग, मकान, दुकान शामिल हैं। यह टैक्स खाली प्लॉट पर नहीं वसूला जाता है, बल्कि प्लॉट पर बनी इमारत पर लगाया और वसूला जाता है।

प्रॉपर्टी टैक्स से मिले पैसों का इस्तेमाल स्थानीय नागरिक सुविधाओं जैसे सड़क और नाली की साफ-सफाई और मरम्मत, कचरा प्रबंधन, प्रकाश, पढ़ाई-लिखाई, आवागमन और इलाज की व्यवस्था करने में किया जाता है।

प्रॉपर्टी टैक्स कितना देना होता है:

देशभर में प्रॉपर्टी टैक्स की गणना के लिए कोई एक तरीका नहीं है। यह अलग-अलग पंचायत, नगरपालिका, नगरनिगम के लिए अलग-अलग हो सकता है। दिल्ली में प्रॉपर्टी टैक्स की गणना का तरीका अलग हो सकता है और मुंबई के लिए अलग। हैदराबाद के लिए अलग हो सकता है और लखनऊ के लिए अलग। आम तौर पर प्रॉपर्टी टैक्स की गणना के लिए तीन तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।

1- यूनिट एरिया वैल्यू सिस्टम (UAS): इसके तहत प्रॉपर्टी टैक्स की गणना किसी प्रॉपर्टी के बने हुए क्षेत्र की प्रति यूनिट (वर्गफीट/वर्गमीटर) की कीमत के आधार पर की जाती है। इस सिस्टम में प्रॉपर्टी टैक्स की गणना के लिए प्रॉपर्टी के स्थान, उपयोग और जमीन की बाजार कीमत को आधार बनाया जाता है। कोलकाता, बंगलुरू, पटना, नई दिल्ली के अंतर्गत आने वाले अचल संपत्ति मालिक को प्रॉपर्टी टैक्स की गणना के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करना चाहिए।

2- कैपिटल वैल्यू सिस्टम (CVS): मुंबई समेत कई टीयर-1 शहरों में प्रॉपर्टी टैक्स की गणना के लिए इस तरीके इस्तेमाल किया जाता है। इस सिस्टम में प्रॉपर्टी की कुल बाजार कीमत के आधार पर टैक्स की गणना की जाती है। यह बाजार मूल्य सरकार तय करती है। इस सिस्टम में टैक्स की गणना करते समय यह भी देखा जाता है कि प्रॉपर्टी किस जगह पर है। यह दर हर साल संशोधित और प्रकाशित की जाती है।

3- एनुअल रेंटल वैल्यू सिस्टम या रेटेबल वैल्यू सिस्टम (RVS): इस सिस्टम में सालाना किराए मूल्य के आधार पर प्रॉपर्टी टैक्स की गणना की जाती है। यहां किराए मूल्य का मतलब किराए के तौर पर वसूला गया कुल किराया से नहीं है। इसमें किराया राशि वह मानी जाती है, जो नगरपालिका प्राधिकरण प्रॉपर्टी के आकार, स्थान, परिसर की स्थिति, जाने-माने स्थानों से प्रॉपर्टी की निकटता और सुविधाओं के आदि के आधार पर तय की गई किराए की कीमत होती है। हैदराबाद और चेन्नई के अचल संपत्ति मालिकों को प्रॉपर्टी टैक्स की गणना के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करना चाहिए।

प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान कैसे करें:

अपने नगरपालिका के दफ्तर में जाकर या उसके द्वारा प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने के लिए अधिकृत बैंकों में जाकर टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। कई नगरपालिकाएं तो प्रॉपर्टी टैक्स जमा करने के लिए डिजिटल भुगतान की भी सुविधा दे रही हैं। इससे आप किसी भी समय कहीं से भी अपना प्रॉपर्टी टैक्स भर सकते हैं। मुंबई, वसई-विरार सिटी महानगरपालिका क्षेत्र के प्रॉपर्टी मालिक इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं। भारत में ज्यादातर नगरपालिका टैक्स का भुगतान उनकी वेबसाइटों पर जाकर ऑनलाइन किया जा सकता है। गूगल पे के जरिये भी कुछ नगरपालिका टैक्स का भुगतान करने की सुविधा देती है।

प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान हर साल समय पर करना होता है। देरी से भुगतान करने पर जुर्माना देना पड़ सकता है। कुछ नगरपालिका प्रॉपर्टी टैक्स के भुगतान में ज्यादा देरी की वजह से आपके फ्लैट को सील भी कर देती है। एक बात और ध्यान रखें कि प्रॉपर्टी टैक्स के भुगतान की जिम्मेदारी प्रॉपर्टी के मालिक की होती है, किराएदार की नहीं।

मुंबई के प्रॉपर्टी मालिक घर बैठे यानी ऑनलाइन प्रॉपर्टी टैक्स कैसे भरें:

मुंबई के म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का नाम म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ ग्रेटर मुंबई (एमसीजीएम) है। यह अपने प्रॉपर्टी मालिकों से वार्षिक या अर्द्धवार्षिक आधार पर टैक्स वसूलती है। ऑनलाइन प्रॉपर्टी टैक्स भरने के लिए सबसे पहले उसकी वेबसाइट पर जाएं और अपना अकाउंट बनाएं। लॉगइन करने के लिए अपना अकाउंट नंबर और कैप्चा दर्ज करें। अगला पेज जो खुलेगा, उस पर आप ऑनलाइन अपना टैक्स भर सकते हैं। टैक्स भुगतान करने के बाद रसीद की एक कॉपी अपने पास जरूर रखें। रसीद भुगतान और स्वामित्व के पुष्टिकरण के तौर पर काम करती है।

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